Jay Jaykara

कैलाश खेर

क्या कभी अम्बर से सूर्य बिछड़ता है क्या कभी बिन बाती दीपक जलता है क्या कभी अम्बर से सूर्य बिछड़ता है क्या कभी बिन बाती दीपक जलता है कैसी है ये अनहोनी हर आँख हुई नम छोड़ गया जो तू कैसे जियेंगे हम तूही किनारा तूही सहारा तू जग सारा, तू ही हमारा सूरज तूही तारा जय जयकारा, जय जयकारा स्वामी देना साथ हमारा जय जयकारा जय जयकारा स्वामी देना साथ हमारा (?) आ आ आ आ आ ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म जहाँ जहाँ तेरे पाऊँ पड़े वो धरती अम्बर हो जाये जाने ये कैसी माया माया है तेरी तू निर्बल चाबल है स्वामी रखवाला हम सब का उसको क्या डर है जिसपे छाया तेरी कण कण में है ख़ुशहाली झूमे हैं डाली डाली हम प्यासों पे जो रिमझिम बरसे है बादल से तूही वो अमृत की धरा जय जयकारा, जय जयकारा स्वामी देना साथ हमारा जय जयकारा जय जयकारा स्वामी देना साथ हमारा

Written by: Manoj MuntashirLyrics © Raleigh Music Publishing LLC, Songtrust AveLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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