Kaabil Hoon

Jubin Nautiyal, पलक मुच्छल

तेरे मेरे सपने सभी तेरे मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में है चाबी कहाँ ढूंढें बता वो चाँद के प्याले में है फिर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस ये ही मैं तेरे काबिल हूँ या तेरे काबिल नहीं मैं तेरे काबिल हूँ या तेरे काबिल नहीं हैं तेरे मेरे सपने सभी तेरे मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में है चाबी कहाँ ढूंढें बता वो चाँद के प्याले में है फिर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस ये ही मैं तेरे काबिल हूँ या तेरे काबिल नहीं मैं तेरे काबिल हूँ या तेरे काबिल नहीं हैं हैं हों हैं हैं हों हैं ये शरारतें ये मस्तियाँ अपना यही अंदाज़ है हो समझाएँ क्या कैसे कहें जीने का हाँ इसमें राज़ है धड़कन कहाँ ये धड़कती है दिल में तेरी आवाज़ है अपनी सब खुशियों का अब तो ये आगाज़ है तेरे मेरे सपने सभी सपने सभी सपने सभी तेरे मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में है चाबी कहाँ ढूंढें बता वो चाँद के प्याले में है फिर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस ये ही मैं तेरे काबिल हूँ या तेरे काबिल नहीं मैं तेरे काबिल हूँ या तेरे काबिल नहीं ओ ओ हों ओ ओ हों ओ ओ हों ओ ओ हों ओ ओ हों ओ ओ हों ओ ओ हों सागर की रेत पे दिल को जब ये बनायेंगी मेरी उँगलियाँ तेरे नाम को ही पुकार के खनकेंगी मेरी चूड़ियाँ तुझमें अदा ऐसी है आज उड़ती हों जैसे तितलियाँ फीकी अब ना होंगी कभी ये रंगीनियाँ तेरे मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में है चाबी कहाँ ढूंढें बता वो चाँद के प्याले में है फिर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस ये ही मैं तेरे काबिल हूँ या तेरे काबिल नहीं मैं तेरे काबिल हूँ या तेरे काबिल नहीं ला ला ला ला ला हम्म हम्म हम्म हे हे हे हे हे हम्म होय होय होय होय होय (हे हे हे हे हे)

Written by: NASIR FARAAZ, RAJESH ROSHANLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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