Sau Tarah Ke
अमित मिश्रा, जोनिता गाँधी
कल सुबह सोचेंगे जो आज रात किया
कल सुबह गिन लेंगे सारी गलतियाँ
तू मेरा अभी हो
जाना अजनबी फिर
हम मिलेंगे ना कभी
कल सुबह चले जाएंगे है घर जहाँ
कल सुबह बोलें जो भी बोलेगा जहाँ
तू मेरा अभी हो
जा ना अजनबी फिर
हम मिलेंगे ना कभी
सौ तरह के रोग ले लूँ
इश्क़ का मर्ज़ क्या है
सौ तरह के रोग ले लूँ
इश्क़ का मर्ज़ क्या है
तू कहे तो जान दे दूँ
कहने में हर्ज़ क्या है
सौ तरह के रोग ले लूँ
इश्क़ का मर्ज़ क्या है (या अल्लाह हबीबी या अल्लाह)
बाहों को बाहों में दे दे तू जगह
तुझसे तो दो पल का मतलब है मेरा
तेरे जैसे ही मेरा भी
दिल खुदगर्ज़ सा है
तेरे जैसे ही मेरा भी
दिल खुदगर्ज़ सा है
तू कहे तो जान दे दूँ
कहने में हर्ज़ क्या है
सौ तरह के रोग ले लूँ
इश्क़ का मर्ज़ क्या है
सौ तरह के रोग ले लूँ
इश्क़ का मर्ज़ क्या है
या या या या हबीबी
या या या या हबीबी(या अल्लाह)
कल सुबह तक झूठा वाला प्यार करें
कल सुबह तक झूठी बातें चार करें
तू मेरा अभी हो
जा ना अजनबी फिर
हम मिलेंगे ना कभी
ला तख़फी महमा क़लू
आना क़लबी हवाकि
आयुअ आयुअ
ला तख़फी महमा क़लू
आना क़लबी हवाकि
तू कहे तो जान दे दूँ
कहने में हर्ज़ क्या है
सौ तरह के रोग ले लूँ
इश्क़ का मर्ज़ क्या है
हलक हलक लिल्लाह लिल्लाह
अरफी अरफी अरफी
या या या या हबीबी
Written by: ASHISH PANDIT, PRITAM CHAKRABORTY, RAKESH KUMAR PALLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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