तेरी दास्तां

जसलीन रॉयल

ख्वाबों की नगरी हक़ीक़त बनाने जो ए दिल इक दिन का ये क़िस्सा नहीं खुद के होने की पहेली सुलझाने जो ए दिल इक का ये क़िस्सा नहीं कदमों में जमा जो थकान चैन की नींदें आती वहाँ कदमों में जमा जो थकान चैन की नींदें आती वहाँ इतनी सुहानी बना हो न पुरानी तेरी दास्तां हं अहह हं अहह हम तो न कहते अँधेरा कहता जुगनू में रहता इक तारा रहता हम तो न कहते अँधेरा कहता जुगनू में रहता इक तारा रहता आंसू मोती खर्चो न खामिया ख़ास समझो न इतनी सुहानी बना हो न पुरानी तेरी दास्तां सुन लो न ग़लतियों का है कहना नादानियों में तजुर्बा बैठा जज़्बातों की बातों में न आना जज़्बाती नज़रों को दीखता धुंधला आंसू मोती खर्चो न खामियां ख़ास समझो न इतनी सुहानी बना हो न पुरानी तेरी दास्तां चंदा तक पक्का सा रास्ता बनाना जो है ए दिल इक दिन का ये क़िस्सा नहीं बंद दिल बाहों को है खुलना सिखाना जो ए दिल इक दिन का ये क़िस्सा नहीं हं हं हं हं हो न पुरानी तेरी दास्तां

Written by: JAIDEEP SAHNI, JASLEEN ROYALLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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