Kabhi Yun Bhi To Ho

Jagjit Singh

कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो परियों की महफ़िल हो कोई तुम्हारी बात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो ये नर्म मुलायम ठंडी हवाएँ जब घर से तुम्हारे गुज़रें तुम्हारी खुशबू चुराएँ मेरे घर ले आयें कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो सूनी हर महफ़िल हो कोई न मेरे साथ हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो ये बादल ऐसा टूट के बरसे मेरे दिल की तरह मिलने को तुम्हारा दिल भी तरसे तुम निकलो घर से कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो तन्हाई हो दिल हो बूँदें हों बरसात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो कभी यूँ भी तो हो

Written by: JAGJIT SINGH, JAVED AKHTARLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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