ये दुनिया थोड़ी क्षण-भंगुर
ये दुनिया थोड़ी थेथर है
तुम जितनी ज़हर समझते हो
बस उससे थोड़ी बेहतर है
ये बूढ़ी खचड़ा-गाड़ी है
जो धक्के-धक्के चलती है
ये उजड़ी ठाकुर-बाड़ी है
जो अब मुँह ढक के चलती है
(Hookline)
कुछ ख़ाक समझ ना आवेगी
इस दुनिया की जादू माया।
कुछ ख़ाक समझ ना आवेगी
इस दुनिया की जादू माया।
अंतरा 2
यहाँ वक़्त न सीधा चलता है
सब ऊन के उलझे गोले हैं
यहाँ बिना हिसाब उधारी के
सबने ही खाते खोले हैं।
यहाँ टूट के गिरते नच्छत्रों ने
नदियाँ कई सुखाई हैं
यहाँ बन्दों ने बन्दों की लाशों
पे सरकार बनाई है
कुछ ख़ाक समझ ना आवेगी
इस दुनिया की जादू माया।
कुछ ख़ाक समझ ना आवेगी
इस दुनिया की जादू माया।
जिसको हमने सूरज माना
गिरता पुच्छल तारा था
गहरी लंबी नदियों में
पानी खारा खारा था
डूबना टूटना हाथ का छूटना
कुछ ख़ाक समझ ना आवेगी
इस दुनिया की जादू माया।
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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