Shayari

गुरनाज़र, Charlie Chauhan

अब वो किसी और की है अब उसको जान बुलाती है हमारे साथ गुजारा हुआ वक़्त सबको नुक्सान बुलाती है गम सिर्फ एक बात का है की वो नुक्सान उसने बहुत आसानी से भूला दिया हमने तो इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया हमने तो इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया उसने इतना मुझे रुला दिया वो जिसे कहते हैं ना जहनुम ज़मीन पे ही दिखा दिया हमने भी इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया करीब आया वो यूँ मुझे मुझसे ही चुरा लिया और जब खो चुकी थी मैं खुदको उसने हाथ छुड़ा लिया हमने भी इश्क़ से भरोसा उठा दिया हमने भी इश्क़ से भरोसा उठा दिया बातों बातों में ले जाती थी मुझे चाँद पर बातों बातों में ले जाती थी मुझे चाँद पर फिर फिर क्या मुझे चाँद से ही गिरा दिया हमने तो इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया हमने तो इश्क़ से भरोसा ही उठा दिया भरोसा ही उठा दिया

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