Zara Zara

Bombay Jayashri, Sanjay S Yadav

ज़रा ज़रा बहकता है महकता है आज तो मेरा तन बदन मैं प्यासी हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में ज़रा ज़रा बहकता है महकता है आज तो मेरा तन बदन मैं प्यासी हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में है मेरी कसम तुझको सनम दूर कहीं ना जा ये दूरी कहती है पास मेरे आजा रे यूँ ही बरस बरस काली घटा बरसे हम यार भीग जाएँ इस चाहत की बारिश में मेरी खुली खुली लटों को सुलझाए तू अपनी उँगलियों से मैं तो हूँ इसी ख्वाहिश में सर्दी की रातों में हम सोये रहें एक चादर में हम दोनों तन्हाँ हो ना कोई भी रहे इस घर में ज़रा ज़रा बहकता है महकता है आज तो मेरा तन बदन मैं प्यासी हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में

Written by: J Jayaraj Harris, K Kami, SameerLyrics © Phonographic Digital Limited (PDL), Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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