Musafir

Arijit Singh, Atif Aslam

ह्म ह्म ह्म ह्म कैसे जीऊँगा कैसे बता दे मुझको तेरे बिना! कैसे जियूंगा कैसे बता दे मुझको तेरे बिना तेरा मेरा जहाँ ले चलूं मैं वहाँ कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले रख लून आँखों में मैं खोलूं पलके ना मैं कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले मैं अंधेरोन से घिरा हूँ आ दिखा दे तू मुझको सवेरा मेरा मैं भटकता इक मुसाफिर आ दिला दे तू मुझको बसेरा मेरा जागी जागी रातें मेरी रोशन तुझसे है सवेरा तू ही मेरे जीने की वजह जब तक हैं ये साँसें मेरी इंपे है सदा हक़ तेरा पूरी है तुझसे मेरी दुआ तेरा मेरा जहाँ ले चलूं मैं वहाँ कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले रख लून आँखों में खोलूं पलके ना मैं कोई तुझको ना मुझसे चुरा ले मैं अंधेरोन से घिरा हूँ आ दिखा दे तू मुझको सवेरा मेरा मैं भटकता इक मुसाफिर आ दिला दे तू मुझको बसेरा मेरा आ आ औ औ आ आ औ औ आ आ आ आ औ औ आ आ औ औ आ आ

Written by: Palash MuchhalLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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