Tu Banja Gali Benaras Ki

असीस कौर

तू बन जा गली बनारस की मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें तू बन जा गली बनारस की मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें तेरी बातें चटपट चाट सी हैं तेरी आँखें गंगा घाट सी हैं मैं घाट किनारे सो जाऊँ(सो जाऊँ) फिर सुबह-सुबह जागूँ तुझमें तू बन जा गली बनारस की मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें मेरे चाँद गुज़र मेरी खिड़की से तुझे माथे पे अपने सजा लूँ मैं तुझे बाँध लूँ अपनी ज़ुल्फ़ों में तुझे अपना रिबन बना लूँ मैं मेरे चाँद गुज़र मेरी खिड़की से तुझे माथे पे अपने सजा लूँ मैं तुझे बाँध लूँ अपनी ज़ुल्फ़ों में तुझे अपना रिबन बना लूँ मैं तुझे ऐसे रखूँ कभी खोए नहीं किसी और का तू कभी होए नहीं तुझे पाऊँ तो खो जाऊँ मैं फिर खुद को कहीं ढूँढू तुझमें तू बन जा गली बनारस की मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें मुझे घर से भगा ले जा एक दिन तेरे साथ फिरूँ मैं सैलानी तू हवा है मैं घंघोर घटा मुझे छेड़ के कर पानी-पानी मुझे घर से भगा ले जा एक दिन तेरे साथ फिरूँ मैं सैलानी तू हवा है मैं घंघोर घटा मुझे छेड़ के कर पानी-पानी मेरी खुशियों में मेरे ग़म में तू मेरे इश्क़ के हर मौसम में तू तू बैठा रहे मेरे साए में और धूप सी मैं निकलूँ तुझमें तू बन जा गली बनारस की मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें तू बन जा गली बनारस की मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें

Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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