Sham Dhale Khidki Tale

विनय मांडके, Anweshaa

शाम ढले खिड़की तले तुम सीटी बजाना छोड़ दो तुम सीटी बजाना छोड़ दो घड़ी घड़ी खिड़की में खड़ी तुम तीर चलाना छोड़ दो तुम तीर चलाना छोड़ दो शाम ढले खिड़की तले तुम सीटी बजाना छोड़ दो तुम तीर चलाना छोड़ दो रोज़ रोज़ तुम मेरी गली में चक्कर क्यों हो काटते अजी चक्कर क्यों हो काटते सच्ची सच्ची बात कहूँ मैं सच्चीसच्ची बात कहूँ मैं अजी तुम्हारे वास्ते तुम्हारे वास्ते जाओ जाओ होश में आओ यूँ आना जाना छोड़ दो यूँ आना जाना छोड़ दो शाम ढले खिड़की तले तुम सीटी बजाना छोड़ दो तुम तीर चलाना छोड़ दो मुझसे तुम्हें क्या मतलब है ये बात ज़रा बतलाओ मुझसे तुम्हें क्या मतलब है ये बात ज़रा बतलाओ चि बात फ़कत इतनी सी है कि तुम मेरी हो जाओ आओ आओ तुम मेरी हो जाओ ऐसी बातें अपने दिल में ऐ साहिब तुम लाना छोड़ दो ऐ साहिब तुम लाना छोड़ दो शाम ढले खिड़की तले तुम सीटी बजाना छोड़ दो तुम तीर चलाना छोड़ दो चार महीने मेहनत की है अजी रँग कभी तो लाएगी जाओ जाओ जी यहाँ तुम्हारी दाल कभी गलने न पाएगी अजी दाल कभी गलने न पाएगी दिलवालों मतवालों पर तुम रौब जमाना छोड़ दो रौब जमाना छोड़ दो शाम ढले खिड़की तले तुम सीटी बजाना छोड़ दो तुम तीर चलाना छोड़ दो

Written by: CHITALKAR RAMCHANDRA, RAJINDER KRISHANLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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