आदत बन गए हो

Palak Muchchal, पलक मुच्छल, अंकित तिवारी

ख्वाहिसे मेरि तेरे दर पे आके रूकी सजदे मे तेरी मेरी पलके भी है झूकी ख्वाहिसे मेरि तेरे दर पे आके रूकी सजदे मे तेरी मेरी पलके भी है झूकी दरद से भी ज्यादा तुम रहत बन गए हो चुपके से दिल जो सुनता है वो आहट बन गए हो आदत बन गए हो इबादत बन गए हो तुम ही मेरि चहत बन गए हो आदत बन गए हो इबादत बन गए हो तुम ही मेरी चहत बन गए हो मिला मुजे कहि तू रह पे चलत हुए दखे मुजे कहिन मेरे खाबो में रूका हुआ है मिला मुजे कहि तू रह पे चलत हुए दखे मुजे कहिन मेरे खाबो में रूका हुआ है फिर क्यु खुसबू आयी है क्या रंगी लाई है तुझको पाके जना है बिन तेरे तन्हाई है हर घडी जो सुनता हू में वो गजल बन्न गए हो आके छुटि जो मुझको वो लहेर बन गये हो आदत बन गय हो इबादत बन गए हो तुम ही मेरी चहत बन गयो हो आदत बन गय हो इबादत बन गए हो तुम ही मेरी चहत बन गयो हो

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