Mitra

Amitabh Bhattacharya

रास्तो में खो गया है मितरा अजनबी क्यूँ हो गया है मितरा, मितरा कुछ तो कमी है सावन सावन सा क्यूँ न लागे मितरा, मितरा शाम-ओ-सहर क्यूँ मन का आंगन ये सूना लागे मितरा, मितरा धूप ले के जो गया है मितरा अजनबी क्यूँ हो गया है मितरा यारा हाए यारा, कैसे जाने यारा, बिछड़ा यारा हाए यारा, संग चैन सारा बिछड़ा दिल के तारों में, क्यूँ हज़ारों में, दर्द जागे हैं हमने बांधे जो, रेशमी सारे टूटे धागे हैं बिरहा तो ये हरजाना है, हमको अदा कर जाना है सिर्फ यादों का ताना बाना है, क्या छुपाना है हाल-ए-दिल जो हो गया है मितरा, मितरा अजनबी क्यूँ हो गया है मितरा कुछ तो कमी है सावन सावन सा क्यूँ न लागे मितरा, मितरा शाम-ओ-सहर क्यूँ मन का आंगन ये सूना लागे मितरा, मितरा धूप ले के जो गया है मितरा अजनबी क्यूँ हो गया है मितरा

Written by: AMITABH BHATTACHARYA, SALIM MERCHANT, SULAIMAN MERCHANTLyrics © O/B/O CAPASSOLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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