Raat Ki

अकासा सिंग

ओ ओ आ ओ आ आ आधी अधूरी सी करवट हूँ मैं कर दे मुकम्मल मुझे मैं हूँ लहर तू किनारा मेरा छू लूँ मचल कर तुझे क्यों मैं रिवाजों को अब ओढूं भला तुझसे छुपुं क्यों बेवजह तू वहां वहां मिले मुझे छूती हूँ खुद को जहाँ बुझा दे रात की तिश्नगी मुझपे बरस जा ज़रा बुझा दे रात की तिश्नगी मुझपे बरस जा ज़रा ओहो ओहो ओहो ओहो कुछ पंख लायी हूँ आ उड़ चले आवारा ख्वाबों के रस्ते कहीं हर रोज़ यूँ जज़्बात में शोले सुलगते नहीं नियत पे तेरी यकीन तो नहीं पर क्या करूँ खुद से मजबूर हूँ देखूं तुझे छाये नशा तुझमें हुई चूर मैं क्यों मैं रिवाजों को अब ओढूं भला तुझसे छुपुं क्यों बेवजह तू वहां वहां मिले मुझे छूती हूँ खुद को जहाँ बुझा दे रात की तिश्नगी मुझपे बरस जा ज़रा बुझा दे रात की तिश्नगी मुझपे बरस जा ज़रा ओ ओ आ ओ आ आ ना हो रिवाजों का पर्दा कोई और ना पुरानी कोई रस्म हो दीवानगी थामे हुए तेरा मेरा जिस्म हो जिद से तेरी हो के मजबूर मैं यूँ टूट जाऊं कि जुड़ न सकूँ कुछ इस तरह नज़दीक आऊं खुद में भी तुझको सुनूँ क्यों मैं रिवाजों को अब ओढूं भला तुझसे छुपुं क्यों बेवजह तू वहां वहां मिले मुझे छूती हूँ खुद को जहाँ बुझा दे रात की तिश्नगी मुझपे बरस जा ज़रा बुझा दे रात की तिश्नगी मुझपे बरस जा ज़रा

Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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