Sawalon Ki Godh Mein

Najim Arshad, Advait Nemlekar

सवालों की गोध में सोया हुआ वो नन्हा सा अंधेरा मूंदी हुई आँखों पर उसकी अभी हाथ किसी ने है छ्चोड़ा मखमल की उंगलियाँ है सूरज की रोशनी का अंगूठा है फे रह गये है कुछ रोशनी वेल फे रह गये है पॅल्को के तले इन्हे जो निकाला गया तो दर्र है कहीं अंधेरा जाग ना जाए जाग ना जाए जाग ना जाए रो ना जाए खरगोश से इसके नक्श गीले हुए तो मरघाट के सूने महल बन जाएँगे कमज़ोर सी खूबानी खट्टा जामुन बन जाएगी कमज़ोर सी खूबानी खट्टा जामुन बन जाएगी इसे रहने दो इसे सोने दो बस सोने दो रहने दो इसे रहने दो इसे सोने दो बस सोने दो रहने दो गॅलाइब की दुनिया वाली दुआ है इसे रहने दो इसे सोने दो

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