Drishyam 2

Amitabh Bhattacharya, Vijay Prakash, Ajay Devgan, Usha Uthup, Devi Sri Prasad

सच लगता है झूठ जैसा है ये तेरी आँखों का करम दृश्याम जो ये देखती है सच है वो या है सच होने का भरम दृश्याम जितनी भी सुनवाइयाँ झूठ की हो सौ दुहैईयाँ देके रहता है सच की गवाहियाँ दृश्याम दृश्याम शब्दों पे नही दृश्यों पे ढयन दो क्यूकी शब्दों में झूठ च्छूपने की जगह ढूंड ही लेता है लेकिन दृश्य दृश्य कभी झूठ नही बोलते इसलिए सवाल ये नही है के आपके आँखों के सामने क्या है सवाल ये है के आप देख क्या रहे हो झूठ में तो कई राज़ चूपते हैं खा के झूठी सी कसम दृश्याम दृश्याम राज़ रह के भी रह नही पता है ये सच का धरम दृश्याम दृश्याम झूठी लड़के लड़ाइयाँ झूठ देता है सफाइयाँ लेक रहता है झूठ की तबाहियाँ दृश्याम दृश्याम दृश्याम दृश्याम एक झूठ को च्छुपाने में तो लाखों झूठ पद गये कम दृश्याम दृश्याम एक सच काफ़ी तोड़ने के लिए हर झूठ का अहम दृश्याम दृश्याम झूठ के कारावास में दम तोड़ने से पहले देना चाहता है सच को रिहैइयाँ दृश्याम दृश्याम दृश्याम दृश्याम

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