Kaya Palat

उद्भव

मन ना भरता है ना भरता है खाली रहेगा वो शायद ये सारी मेरी ज़िंदगी ना भरता है मन ना भरता है मन खाली रहेगा वो शायद ये सारी मेरी ज़िंदगी क्या है क्या है जानूँगा मैं शायद मरते दम तक ये नही हों हों हों बेशरम हों, जानवर या कायरो के कू करम हों सब यहाँ के लायक तेरी जान बरसे आज सच बादलों सी शक़सियत, संभाल कर सामान राखियो दोपहर हो, शाम हो या रात होनी फिर सहेर ओह चक्रव्यूह के नायक, तेरी जान बरसे आज सच बादलों सी शक़सियत, संभाल कर सामान राखियो काया पलट, काया पलट दे खुद की झलक, दे खुद की झलक बस पाप से बच, पाप से बच यहाँ नाश ही सच, नाश ही सच काया पलट, दे काया पलट ले खुद की झलक, ले खुद की झलक बस पाप से बच, पाप से बच यहाँ नाश ही सच काया पलट मन ना भरता है ना भरता है खाली रहेगा वो शायद ये सारी मेरी ज़िंदगी ना भरता है मन ना भरता है मन खाली रहेगा वो शायद ये सारी मेरी ज़िंदगी क्या है क्या है जानूँगा मैं शायद मरते दम तक ये नही हों हों हों

Written by: उद्भवLyrics © O/B/O DistroKidLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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