Kaho Ji Hum Kab Tak Kuware Rahe
सुधा मल्होत्रा, Shankar Dasgupta
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे
हो कब तक कुंवारे
हो कब तक कुंवारे
हो कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
नदिया किनारे बैठे गगन के
गिनते ये टारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
चाय घटाये ायी बहारे
गुनगुन हवाये किसको पुकारे
हो जी किसको पुकारे
चाय घटाये अयी बहारे
गुनगुन हवाये किसको पुकारे
हो जी किसको पुकारे
मन के चमन में भरे ये
कब तक कलियो से न्यारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कब होगा जगमग दीपों से आँगन
कब हमरे घर में आएगा बामण
आएगा बामण
कब होगा जगमग दीपों से आँगन
कब हमरे घर में आएगा बामण
आएगा बामण
कब होंगी हल्दी से हाथ पीले
कब होंगी हल्दी से हाथ पीले
प्रीतम के द्वारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
हो सुनलो ए राजा सुनलो ए राजा
अर्ज़ी हमारी राजा अर्ज़ी हमारी
हमको न भाई मर्ज़ी तुम्हारी
राजा मर्ज़ी तुम्हारी
कब तक हमारे माँ बाप
चिंता करते बेचारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
देखो जी देखो जी
हम भी रखते फ़िक्र है
जी रखते जिगर है
लेकिन हमारा दूल्हा किधर है
जी दूल्हा किधर से
हम भी किसी की आशा में
कब तक माँ सहारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे
कहो जी हम कब तक कुंवारे रहे.
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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