Bahut Kathin Din Beetay

Roop Kumar Rathod

बहुत कैथीन दीन बीताये बहुत कैथीन दीन बीताये रात गई तारों को जिन के दिन भी नीरस बीते बहुत कैथीन दीन बीते लिपट अकेला मानव दिल का हाल ना जाने कोई आँखों के सब अंशु सुखे प्रेम दोर हैं खोई खोई आज हम ना डरे कुछ भी हर आशा है सोइ एक अरमान हरे हैं भेद भाव हैं जीते बहुत कैथीन दीन बीते तेरा रूप मुझे भरमाये करता है आकर्षित मन करता है ध्यान तुमें जीवन से बस्म समेट लूं लेकिन ये मन साथ न पाए चिंताओ से चिंता साथ तुम्हारा कब होगा कब भागी परमीते बहुत कैथीन दीन बीताये बहुत कैथीन दीन बीताये रात गई तारों को जिन के दिन भी नीरस बीते बहुत कठिन दीन बीते तुम मेरा सर्वस्व तुम्हारी हो मेरा तन मन जीवन तेरे लिए साजा रखा है अंतर तन में उपमन्यु आओगे तो कल्याण खिलकर भर देंगे मान मधुवनी कट जाएंगे कश्त रोज के मदीरा पीठे बहुत कैथीन दीन बीते

Written by: AJIT KUMAR SINHA, ZULFQAR ALILyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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