Zaroori Tha

Sunidhi Chauhan, Ankit Tiwari, Rohan Singh

लफ्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे तूने जब आख़िरी खत मेरा जलाया होगा तूने जब फूल किताबों से निकाले होंगे देने वाला भी तुझे याद तो आया होगातेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था मोहब्बत भी ज़रूरी थी बिछड़ना भी ज़रूरी था ज़रूरी था की हम दोनों तवाफ़े आरज़ू करते मगर फिर आरज़ूओं का बिखरना भी ज़रूरी था तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था बताओ याद है तुमको वो जब दिल को चुराया था चुराई चीज़ को तुमने ख़ुदा का घर बनाया था वो जब कहते थे मेरा नाम तुम तस्बीह में पढ़ते हो मोहब्बत की नमाज़ों को कज़ा करने से डरते हो मगर अब याद आता है वो बातें थी महज़ बातें कहीं बातों ही बातों में मुकरना भी ज़रूरी था तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था वही हैं सूरतें अपनी वही मैं हूँ, वही तुम हो मगर खोया हुआ हूँ मैं मगर तुम भी कहीं गुम हो मोहब्बत में दग़ा की थी सो काफ़िर थे सो काफ़िर हैं मिली हैं मंज़िलें फिर भी मुसाफिर थे मुसाफिर हैं तेरे दिल के निकाले हम कहाँ भटके कहाँ पहुंचे मगर भटके तो याद आया भटकना भी ज़रूरी था मोहब्बत भी ज़रूरी थी बिछड़ना भी ज़रूरी था ज़रूरी था की हम दोनों तवाफ़े आरज़ू करते मगर फिर आरज़ूओं का बिखरना भी ज़रूरी था तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था

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