Sun Le Zara Insaan

Mohammed Rafi

सुन सुन रे ज़रा इंसान हो सुन सुन रे ज़रा इंसान किस पर करता है तू अभिमान के एक दिन आएगा वो तूफ़ान के जब मिल जायेगी माटी शान हो सुन सुन रे ज़रा इंसान बाते बनाता क्यों बढ़ बढ़ के चलता क्यों अकड़ अकड़ के चलता क्यों अकड़ अकड़ के कोन बचाने आएगा जब ले जायेगा काल पकड़ के ले जायेगा काल पकड़ के अरे कितना भी बढ़ ले कितना भी बढ़ ले कितना भी चढ़ ले मंजिल है तेरी मैदान हो सुन सुन रे ज़रा इंसान निचे है धरती ऊपर है आसमान चलती है दुनिया का चाकी चलती है दुनिया का चाकी इसके बड़े दो पाटो के बीच में कोई बचा न बाकि कोई बचा न बाकि अरे तू तो क्या चीज़ है तू तो क्या चीज़ यहाँ रावण से राजा का बाकि रहा न निशां ओ सुन सुन रे ज़रा इंसान बड़े बड़े पापी आये थे जिनसे सारा जगत ठर्राया सारा जगत ठर्राया एक दिन ऐसे गिरे मुँह के बल चार कंधो ने उनको उठाया चार कंधो ने उनको उठाया अरे औरो की कुटिया औरो की कुटिया जलाएगा तो जल जायेगा तेरा मकान हो सुन सुन रे ज़रा इंसान किस पर करता है तू अभिमान के एक दिन आएगा वो तूफ़ान के जब मिल जायेगी माटी शान सुन सुन रे ज़रा इंसान

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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