Phir Kahin Koi Phool Khila

मन्ना डे

फिर कही फिर कही कोई फूल खिला चाहत ना कहो उसको फिर कही कोई फूल खिला चाहत ना कहो उसको फिर कही कोई दीप जला मंजिल ना कहो उसको फिर कही मन का समुन्दर प्यासा हुवा क्यों किसी से मांगे दुवा मन का समुन्दर प्यासा हुवा क्यों किसी से मांगे दुवा लहरों का लगा जो मेला तूफान ना कहो उसको फिर कही कोई फूल खिला चाहत ना कहो उसको फिर कही देखे सब वह सपने खुदही सजाये जो हमने देखे सब वह सपने खुदही सजाये जो हमने दिल उनसे बहल जाये तोह राहत ना कहो उसको फिर कही कोई फूल खिला

Written by: Kanu Roy, Kapil KumarLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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