Karo Hari Darshan

Kalyanji Anandji, Mahendra Kapoor

कितनी ही बार दया ने धीने कितनी ही बार दया ने धीने संसार को आके उभार लिया जब जब धरती पर धर्म घटा तब तब प्रभु ने अवतार लिया करो हरी दर्शन हरी दर्शन करो हरी दर्शन करो ओ ओ हरी दर्शन ये कहानी भयंकर काल की है प्राचीन करोड़ो साल की है शंकासुर नाम का था दानव उससे डरते थे सुर मानव राक्षस था बड़ा विकट बल मे वेदो को चुरा के घुसा जल मे फिर प्रभु मे मत्स्य रूप धारा पापी शंखा सुर को मारा पापी सांखा सुर को मारा ये अमृत मंथन की है कथा सुर असुरो ने सागर को मथा सुर असुरो ने सागर को मथा डूबने लगा पर्वत जल मे खल बली मची भू मंडल मे तब हरी ने करूँ अवतार लिया मंदूरा चल पीठ पे धार लिया हरी की लीला है अजब लोगो देखो अब द्रिश्य गजब लोगो ओ ओ धन वन धरी जन मे समन्दर से अमृत ले आए वो अंदर से अमृत के लिए दानव झगडे पर प्रभु निकले सब से तगड़े तब प्रभु बने सुंदर नारी मोहिनी नाम की सुकुमारी जब मटक मटक मोहिनी डोली देतयो की बंद हुई बोली असुरो का आसन हिला दिया देवो को अमृत पीला दिया फिर प्रभु पृथ्व अवतार हुआ उनसे धरती का सुधार हुआ सब नियम धर्म को ठीक किया जन जन का मन निर्भीत किया जन जन का मन निर्भीत किया अब सुनो भगत दूजी गाथा भगवन को झुका लो सब माथा जब तूने हरी दर्शन पाए तब उसके लोचन भर आए एक बाल भगत ने निराकार नारायण को साकार किया जब जब धरती पर धर्म घटा तब तब प्रभु ने अवतार लिया करो हरी दर्शन हरी दर्शन करो हरी दर्शन करो ओ ओ हरी दर्शन हो जब ग्राह ने गज को पकड़ लिया उसके पैरो को जकड़ लिया तब चक्र प्राणी पैदल दौड़े आ कर उसके बंधन तोड़े और चक्र से ग्राहक सँभारा पल मे गजराज को उधारा फिर प्रगट हुए नर नारायण हे महा तपसवी जग तारण उर्वशी भी देख विरक्त हुई अप्सरा भी हरी की भक्त हुई तब काम भी रस्ता नाप गया और क्रोध भी मन मे काप गया और क्रोध भी मन मे काप गया हाय जीव तपस्या करता था होने को अमर वो मरता था तब महा माया साकार हुई पर देने को तैयार हुई दानव ने वचन ये उचारे केवल हाय ग्रीव मुझे मारे हाय शीश रूप हरी ने धारा और पापी राक्षस को मारा उस पापी राक्षस को मारा फिर हंस रूप में हरी प्रकटे कल्याण हेत श्री हरी प्रकटे भगवान ने सब को शिक्षा दी पावन भगति की दीक्षा दी फिर जग मे यज्ञ भगवन आए पृथ्वी पर परिवर्तन लाए सब देव हवन से पुष्त हुए प्राणी समस्त संतुष्ट हुए फिर प्रभु कपिल अवतार बने सृष्टि से तारण हार बने अपनी माता को ज्ञान दिया जनता को सांखए प्रदान किया जनता को सांखए प्रदान किया फिर सनकादिक अवतार हुए वास्तव मे बालक चार हुए मत सोचो वो केवल बालक थे बड़े धरम करम के पालक थे जय विजय को देकर श्राप बाल भगवान ने जग को धार दिया जब जब धरती पर धर्म घटा तब तब प्रभु ने अवतार लिया करो हरी दर्शन हरी दर्शन करो हरी दर्शन करो ओ ओ हरी दर्शन

Written by: ANANDJI V SHAH, KALYANJI VIRJI SHAH, MANIAN PRADEEPLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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