Samjho Na
प्रभजी कौर, कृष्णा सोलो
समझो ना, क्यूँ अब मेरी नींदें हैं उड़ी
समझो ना, क्यूँ ख़्वाहिशों की है ये लड़ी
समझो ना दिल किसके हो रहा है क़रीब
कुछ नज़रों से सुनो, कुछ यूँ ही समझो ना
कुछ नज़रों से सुनो, कुछ यूँ ही समझो ना
तुम्हीं से हैं मेरी हसरतें, तुम्हीं से हैं दिल में हलचलें
करो ना फिर ये नासमझी का बहाना
क़दम, दो क़दम और साथ चलें, बाँहों में तेरी जो शामें ढलें
कहो कि तुम भी प्यार है ये सुहाना
समझो ना, क्यूँ अब हैं ये इंतज़ारियाँ
समझो ना, सज-धज के क्यूँ हैं तैयारियाँ
समझो ना, किस पे हैं मेरी दिलदारियाँ
कुछ दिल की भी सुनो, कुछ यूँ ही समझो ना
कुछ दिल की भी सुनो, कुछ यूँ ही समझो ना
मानो, ना मानो, तुम्हें भी है प्यार, मैं ही तुम्हारा हूँ दिल का क़रार
जाने-अंजाने में किए हैं तुमने इशारे
अच्छी लगूँ मैं तुम्हारे ही साथ, यारों में उड़ी कुछ ऐसी ही बात
मानो ये तुम भी और तोड़ो ये सारी दीवारें
समझो ना, और भी हैं बातें जो अनकही
समझो ना, कुछ तुम भी तो समझाओ सही
समझो ना, समझो ना रे, हाँ-हाँ, वही
कुछ मन की भी सुनो, कुछ यूँ ही समझो ना
कुछ दिल की भी सुनो, कुछ यूँ ही समझो ना
कुछ नज़रों से सुनो, कुछ यूँ ही समझो ना
कुछ समझे कि नहीं बस अब ये कह दो ना
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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