Musafir

Daler Mehndi

साँस रुकती कहाँ है किसीस की खातिर ये सफ़र तो है बस खुदेई के खातिर लम्हा लम्हा ज़िंदगी का लम्हा लम्हा ज़िंदगी का है हाज़िर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर चलते हैं वो भी जो थम जाते हैं रास्तों से भी आगे कदम जाते हैं कोई ठहरा कहाँ है ब्टा फिर कोई ठहरा कहाँ है ब्टा फिर लम्हा लम्हा ज़िंदगी का है आख़िर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर बारीशों के ये मौसम तो पल भर रहे कुशक आँखों में बेगे से मंज़र रहे एक एहसास की उंगली को थाम के टाई कर रहा हूँ मैं मरहाले शाम के मरहाले शाम के मरहाले शाम के लम्हा लम्हा ज़िंदगी का है आख़िर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर ज़िंदगी को सभी कुछ कहाँ है मिला साँस का हर कदम देता है ये सला जो ना मिला वो मौजूद हर पल रहा वक़्त मुझमे है तेहरा मैं चलता रहा लम्हा लम्हा ज़िंदगी का है आख़िर लम्हा लम्हा ज़िंदगी का है आख़िर लम्हा लम्हा ज़िंदगी का है आख़िर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर लम्हा लम्हा ज़िंदगी का है आख़िर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर मुसाफिर है मुसाफिर

Written by: M M KREEM, PANCHHI JALONVILyrics © Peermusic PublishingLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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