Bas Ki Dushwar Hai

Chitra Singh

बस के दुशवार हैं हर काम का आसन होना आदमी को भी मुयस्सर नहीं इंसान होना बस के दुशवार हैं की मेरे कतल के बाद उसके जाफा से तौबा की मेरे कतल के बाद उसके जाफा से तौबा हाय हम जूड पशेमान का पशुमान होना बस के दुशवार हैं हाइफ हमें चार गिरह कपडे की क़िस्मत ग़ालिब हाइफ हमें चार गिरह कपडे की क़िस्मत ग़ालिब जिस की किस्मत में हो आशिक का गिरेबान होना बस के दुशवार हैं हर काम का आसन होना बस के दुशवार हैं

Written by: GHALIB, JAGJIT SINGHLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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