Gadbad Ho Gayee
Jolly Mukherjee, अमित कुमार, कविता कृष्णमूर्ति
सोचा था क्या क्या हो गया क्या हो गया
ढुंढ़ो मुझे मैं कही खो गया
मैं भी कही खो गयी
छुट्टी हो गयी
छुट्टी हो गयी
धिन तनाक धिन धिन तनाक धिन
अरे गड़बड़ हो गयी अरे छुट्टी हो गयी
अरे गड़बड़ हो गयी अरे सिटी बज गयी
आरा रा मुझको संभलो मैं चला
गड़बड़ हो गयी सिटी बज गयी
आरा रा मुझको संभलो मैं चला
रोक सको तो रोको लो ओह सालो मैं चला
हो गड़बड़ अरे गयी सिटी बाज गयी
अपना जुलूस तुम निकालो मैं चली
अरे कहा चली तू अरे लौट के आजा
रुक जा पगली हो गड़बड़ हो गयी
सुन औ
सुन औ भतीजी चाचा चाची
आए चक्कर मारो टक्कर
तन मन बोले मन क्या बोले
जान बचाओ लो पी जाओ
इसमे क्या है तुम्हे पता है
पी के मरू क्या ना भाई ना और करू क्या
मेरे सर पे ठंडा पानी डालो मैं चला
अरे गड़बड़ हो गयी अरे सिटी बज गयी
आर र र मुझको संभलो मैं चला
रोक सको तो रोको लो ओह सालो मैं चला
धरती झूमे अंबार झूमे(धरती झूमे अंबार झूमे)
हो गया पागला बाज गया तबला(हो गया पागला बाज गया तबला)
लग गयी हिचकी(लग गयी हिचकी ही छा ही)
ही छा ही ही छा ही
बज गयी सिटी
जोश में आओ जरा होश में आओ
मुझको चढ़ गयी महँगी पद गयी
वैद्य बुलाओ ऐसा करो बलमा तुम मर जाओ
ओ राम का नाम लो दुनिया बोलो मैं चला
गड़बड़ हो गयी अरे छुट्टी हो गयी
आ रा रा मुझको संभलो मैं चला
रोक सको तो रोको लो ओह सालो मैं चला
अरे गिर गया झंडा रह गया डंडा
अरे हो गया ठंडा मुर्गी का अंडा
घोड़े पितु घूमे लतू घूम की जॉली आखरी बोली
धिन पराशि हो जंसी
शाम की बेला पंछी अकेला मजनू छेला
मर गयी लैला भूल भुलैया नटखट सैंया
अरे देदे पागल आज नही कल
तास का पता चोथू घोटा
देखो यह तमाशा देखनेवालो मैं चली
गड़बड़ हो गयी अरे सिटी बज गयी
आरा रा मुझको संभलो मैं चला
रोक सको तो रोको लो ओह सालो मैं चला
हो गड़बड़ अरे गयी सिटी बाज गयी
अपना जुलूस तुम निकालो मैं चली
हो गड़बड़ अरे गयी सिटी बाज गयी
अरे गड़बड़ हो गयी धिन तनाक धिन
अरे सिटी बाज गयी ओह गड़बड़ हो गयी
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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